सभी किये जाने वाले कार्यों के लिए चन्द्रबल देखने की आवश्यकता होती जिस दिन कार्य करना हो या कहीं जाना हो तो सर्वप्रथम जान लें कि उस दिन च किस राशि का है ? तत्पश्चात् अपनी जन्मराशि से उस राशि के चन्द्र तक गिनती करनी चाहिए जो संख्या आवे, उसके अनुसार चन्द्र अपने लिये शुभ है या अशुभ है जान लें ।
उदाहरण स्वरूप मान लो अजय नाम के व्यक्ति को कहीं जाना है तो वह उस दिन पंचांग में देखकर जान ले कि चन्द्र किस राशि का है। मानलो, उस दिन चन्द्र मिथुन राशि का है, और अजय की राशि मेष है, तो उसे अपनी राशि मेष से आगे गिनना प्रारम्भ कर मिथुन तक गिनना चाहिए, गिनने पर ज्ञात होता है, मिथुन, तक गिनती ३ आती है अतः उस दिन अजय को ३ रा चन्द्र है, समझना चाहिए ।
इस प्रकार
पहला चन्द्र लक्ष्मी कारक होता है,
दूसरा सन्तोषप्रद,
तीसरा धनदायक,
चौथा अनिष्ट, कलहोत्पादक,
पाँचवाँ कार्यनाशक,
छटा सम्पत्तिप्रद,
सातवाँ मानससम्मान दायक,
आठवाँ दुःखदायक,
नवाँ भयदायक,
दसवाँ इच्छापूर्ण करने वाला,
ग्यारहवाँ लाभदायक और
बारहवाँ हानिकारक समझना चाहिए ।
इस प्रकार ४, ८ और १२वाँ चन्द्र सभी कार्यों के लिए त्याज्य समझना चाहिए |
शुक्लपक्ष का २, ५ और ९ वाँ चन्द्र शुभ माना गया है।
११ वाँ चन्द्र सर्वोत्तम माना गया है।
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